Iss Pyar ko Kya Naam Doon
The ones who want to see operation on my heart can just walk in
I will provide all knives and tools
जिनको मेरा दिल कटारों से खोलने का शौक है ,घर चले आईए कटार ,छुरिआं मैं ही दे दूंगा
कुछ सीख जरूर लेना क्योंकि एक मेंढक की जान भी जाए तो डाक्टर डाक्टरी सीख लेता है।
तुम लोग उस विषय पर अपने लैकचर देते हो जिस से कभी सामना नहीं किया
और जिसने दहाके से जयादा सहन कीया सफलता पूरबक मात दी उन चुनौतिओं को
उसको discussion से ही बाहर कर दीया। कौन कहेगा यह दरिआ दिली है।
मैं चाहता तो सारे राज़ ,सीखे हुए सबक सीने में लेकर मर जाता।
मैं उन लोगों का representative हूँ जिन्होंने ने ज़ुल्म से तंग आकर अपनी जान ली।
मैने की है बात उन लोगों की आत्मा से क्यों कीया अैसा , बता दो समाज को मेरी ज़ुबान से
कुछ तो शर्म आएगी इनको अपनी समझदारी पर
प्यार ना तो कभी पुराना होता है
प्यार ना ही कभी बेगाना होता है
अगर कोई उलझन होती है तो
सिर्फ समाज की पैदा की हुई।
मैं हर विषय पर खुल के बात करना चाहता हूँ
पर समाज है के किसी भी विषय पर
बात करने पर प्रतिबन्ध लगाता है
हाँ करम जैसे मरज़ी करते रहो
बाहर से दूध धुले नज़र आने चाहिए
मानव होने की Specification बना दी गई है
के जैसे तुम पैदा हुए वैसे सवीकार नहीं
ईधर से थोड़े बाल बना लो
यह Beauty Products जिन की जरूरत तो नहीं
पर यह जरूरी है धरती पर pollution वढे
इनकी production जरूरी है
इनकी marketing जैसे कैसे करो
जो दर्शक को मनमोहक लगे
मुझे original लोग पसन्द है
लोग गाँव में पले वढे को गवार मानते है
मैं उनको original मानता हूँ
इसी लिए उनका गुसा भी सवीकार प्यार भी सवीकार
उनका दूर जाना भी सहन (मतलब ख़ुशी तो नहीं होती )
पास आना तो बहुत अच्छा लगता है
उनसे वोह बातें भी करूँ जो लोग सोचते हैं घर का भेत है
किसकी हिमंत जो घर की हर बात दोसत को बता दे
मैने ज़िंदगी साँझा की है Vunerable होकर भी
मुझे कभी कभी लगता है जब सारी ज़िंदगी उलझी पड़ी हो
तो सभी कहते हैं किसी एक को चुन लो (उनका तातपर्य भगवान से होता है )
तो मैने तो भगवान को बोल रखा है
मिलना हो तो दोसत के रूप लिबास में मिलना
नहीं तो छोडो मैं भगवान से मिलने की इच्छा ही नहीं करता
अगर मेरा भगवान मेरे जैसा ना हो तो क्या करना ऐसा भगवान
जो मेरे दुःख और सुख कुछ भी ना समझ पाए
मेरा धरती पर मौजूद बस इसी एक कारण से है
" कोई तो अैसा हो जो चाहने में बिलकुल मेरे जैसा हो "
यह लिखा तो मिर्ज़ा ग़ालिब जी ने है
मैने जीया है महसूस किया है
क्या छुपाना किस से छुपाना
अगर सारी बातें पतनी से करने की हिमंत रखता हूँ समाज क्या है
नाटकबाज़ी है समाज
मनुख को अधूरी ज़िन्दगी गुजारने के लिए मज़बूर करने वाली संसथा है समाज
मैं अपनी पतनी से जो college का प्यार होता है उसकी बातें भी करता हूँ
जिसको सभ नादानी जा शरीरक आकर्षण बोलते हैं।
Abstract लिखूं तो प्यार क्या है सीखने में सारी उमर चली जाती है
और लोग इस शब्द का इसतेमाल आँख बन्द करके कीए जा रहे हैं
कोई 14 फरबरी के लिए , कोई राजनीती के लीए , कोई व्योपार के लिए
अगर सभ कुछ लुटा देने की हिमंत ना हो उसे प्यार का नाम मत दो please
कुछ शब्दों के अर्थ रहने दो भाषा बची रहेगी आने वाली नस्लों के लिए
वरना वोह जीरो और वन ही समझ पाएंगी और कुछ नहीं